आपने कभी सोचा है कि टीवी, अखबार, ऑनलाइन पोर्टल सब राजनीति की खबर ही क्यों दिखाते हैं? ऐसा नहीं है कि बाकी चीजें नहीं होतीं, मगर राजनीति के पास वो मसाला है जो दर्शकों को लगातार जुड़ा रखता है। इस लेख में हम बात करेंगे कि मीडिया राजनीति पर इतना फोकस क्यों करता है, इसके क्या नतीजे हैं, और हमें क्या बदलना चाहिए।
पहला कारण है आकर्षण—राजनीति में सत्ता, चयन, स्कैंडल और वाद‑विवाद होते हैं। जब एक पार्टी सरकार बदलती है, तो लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर सीधा असर पड़ता है, इसलिए दर्शक इस पर ध्यान देते हैं। दूसरा, विज्ञापनदाता भी ऐसा ही चाहते हैं; उनका लक्ष्य वही दर्शक हैं जो बड़ी खबरों को फॉलो करते हैं। इसलिए चैनल और वेबसाइटें राजनीति को प्राथमिकता देती हैं, क्योंकि इससे ट्रैफ़िक और रिवेन्यू दोनों बढ़ता है।
जब मीडिया राजनीति में फँस जाता है, तो दो बड़े नुकसान होते हैं। एक तो सामाजिक मुद्दों की आवाज़ गुम हो जाती है—जैसे पर्यावरण, स्वास्थ्य या शिक्षा की खबरें पीछे छूट जाती हैं। दूसरा, जनता का ध्यान केवल पुल नाम के नेताओं पर ही रहता है, जिससे आलोचनात्मक सोच कम हो जाती है। इस कारण लोग अक्सर सिर्फ सतह की जानकारी लेते हैं, गहरी समझ के बिना।
अब सवाल उठता है—क्या हम इस पैटर्न को बदल सकते हैं? जवाब है हाँ, लेकिन इसके लिए कुछ कदम ज़रूरी हैं। पहला, छोटे-छोटे स्थानीय प्लेटफ़ॉर्म को बढ़ावा दें जहाँ खबरें सीधे गाँव‑शहर के मुद्दों पर हों। दूसरा, जाँच-पड़ताल वाले पत्रकारों को समर्थन दें जो सत्ता के बाहर की कहानियों को उजागर करते हैं। तीसरा, दर्शकों को भी जिम्मेदारी लेनी होगी—सिर्फ राजनीतिक झलकियों पर नहीं, बल्कि विभिन्न विषयों की खोज करनी होगी।
अगर आप एक सामान्य पाठक हैं, तो आज से ही एक नई आदत अपनाएँ: हर दिन एक ख़बर पढ़ें जो राजनीति से बाहर हो, जैसे कि विज्ञान, खेल या कला के बारे में। इससे आपका जानकारी का दायरा बढ़ेगा और मीडिया को भी संकेत मिलेगा कि लोग विविध सामग्री चाहते हैं।
आखिर में यही कहा जा सकता है कि भारतीय समाचार मीडिया सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि दर्शकों की पसंद पर भी चल रहा है। अगर हम अपनी पढ़ने‑लिखने की आदत बदलें, तो मीडिया भी बदल जाएगा। तो अगली बार जब आप समाचार खोलें, तो राजनीति के अलावा किसी और चीज़ को भी देखें—शायद वही आपके लिए नया रोचक मोड़ बन जाए।
अरे वाह! यह सवाल तो बहुत ही दिलचस्प है, "भारतीय समाचार मीडिया सिर्फ राजनीति क्यों कवर करता है?" अरे भाई, भारतीय मीडिया तो जैसे राजनीति की बिरयानी पर है, एक बार खा लें, तो बार बार खाने का मन करता है! ऐसा नहीं है कि वे सिर्फ राजनीति ही कवर करते हैं, पर हाँ, राजनीति उनके दिल की धड़कन जैसी हो गई है। राजनीति मे जो मसाला होता है, वही तो हमें चैनल देखने के लिए बांधता है, जैसे कि चिपकली का टीवी से इश्क! अगर आपको लगता है कि मीडिया राजनीति के अलावा और कुछ कवर नहीं करता, तो आप शायद बच्चे की तरह लुका चुपी खेल रहे हैं, आंखें बंद करके!
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