आपने हाल ही में टीवी या ऑनलाइन पर कई बार ‘मीडिया का ध्यानकेंद्रित’ शब्द सुना होगा। दरअसल, यह शब्द उन सभी चर्चाओं को दर्शाता है जहाँ मीडिया की भूमिका, उसकी रिपोर्टिंग स्टाइल और कभी‑कभी उसके पक्षपात पर सवाल उठते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि ये बातें हमारे रोज़मर्रा के फैसलों को कैसे प्रभावित करती हैं, तो पढ़ते रहें।
बहुत से भारतीय समाचार चैनल अपने स्टूडियो नोएडा में क्यों बनाते हैं, यह अक्सर पूछे जाने वाला सवाल है। नोएडा दिल्ली के करीब है, इंटरनेट और तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर वहाँ बेहतर है, और किराये की दरें भी कम हैं। इसी वजह से चैनल जल्दी‑जल्दी स्टूडियो सेट‑अप कर पाते हैं और रीयल‑टाइम रिपोर्टिंग में तेज़ी आती है। इससे दर्शकों को ताज़ा खबरें मिलती हैं, लेकिन कभी‑कभी यह लोकेशन का एकीकृत होना सामग्री की विविधता को सीमित कर सकता है।
कई लोग कहते हैं कि अधिकांश समाचार चैनल भाजपा के पक्ष में होते हैं। इस बात को लेकर कई बैक‑एंड कारण होते हैं – विज्ञापन राजस्व, राजनीतिक दबाव, या फिर दर्शकों की पसंद। लेकिन यह पूरी तरह से सच्चाई नहीं है; कुछ चैनल निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए मेहनत करते हैं। अगर आप खुद देखेंगे तो पता चलेगा कि कौन‑से प्रोग्राम में तथ्य पर ज़्यादा ध्यान दिया गया है और कौन‑से सिर्फ राय के रूप में पेश हुए हैं।
मीडिया से जुड़ी हर जानकारी को गैर‑परिचित शब्दों में समझना आसान नहीं होता, इसलिए यहाँ कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं जो आपको सही जानकारी चुनने में मदद करेंगे:
यदि आप इस टैग पेज पर आए हैं तो आप शायद इन विषयों की गहरी समझ चाहते हैं। यहाँ पर ‘कन्या राशिफल साप्ताहिक’, ‘सनी लियोनी की क्यूटनेस’, या ‘भारतीय वायु सेना के विमान’ जैसी अलग‑अलग पोस्ट भी मिलेंगी, जो दर्शाती है कि हमारा मीडिया कितना व्यापक है। विभिन्न क्षेत्रों की खबरों को एक साथ पढ़कर आप न केवल मीडिया की ताक़त, बल्कि उसकी सीमाओं को भी समझ पाएँगे।
अंत में इतना ही – जब भी आप कोई समाचार देखेंगे, तो ऊपर बताई गई चेकलिस्ट अपनाएँ और खुद की राय बनाएँ। यही सही दिशा है, जहाँ तक पहुँचते‑पहुचते आप मीडिया के ध्यानकेंद्रित पहलुओं को समझने में माहिर हो जाएंगे।
अरे वाह! यह सवाल तो बहुत ही दिलचस्प है, "भारतीय समाचार मीडिया सिर्फ राजनीति क्यों कवर करता है?" अरे भाई, भारतीय मीडिया तो जैसे राजनीति की बिरयानी पर है, एक बार खा लें, तो बार बार खाने का मन करता है! ऐसा नहीं है कि वे सिर्फ राजनीति ही कवर करते हैं, पर हाँ, राजनीति उनके दिल की धड़कन जैसी हो गई है। राजनीति मे जो मसाला होता है, वही तो हमें चैनल देखने के लिए बांधता है, जैसे कि चिपकली का टीवी से इश्क! अगर आपको लगता है कि मीडिया राजनीति के अलावा और कुछ कवर नहीं करता, तो आप शायद बच्चे की तरह लुका चुपी खेल रहे हैं, आंखें बंद करके!
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