जब हम किसी बात को सिर्फ अपना नजरिया देखकर समझते हैं, तो वही पक्षपात कहलाता है। यह सिर्फ समाचार में नहीं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की बातचीत, कामकाज़ और रिश्तों में भी छिपा होता है। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि कब आप पक्षपात कर रहे हैं, तो सबसे पहले अपने सोचने के तरीके को देखिए। अक्सर हम वही जानकारी याद रखते हैं जो हमारे पहले से बने विचारों से मेल खाती है। इसे पुष्टिकरण बायस कहते हैं।
सबसे आम बायस हैं: पुष्टिकरण बायस, जहाँ हम अपनी राय को समर्थन देने वाले तथ्यों को अधिक महत्व देते हैं; एंकर बायस, जहाँ पहली मिली जानकारी का असर बाकी निर्णयों पर रहता है; और उपलब्धता बायस, जहाँ हाल ही की या आसानी से याद आने वाली बातों को ज्यादा वजन दिया जाता है। इन बायसेस को पहचानना आसान है अगर आप अपने निर्णय के बाद खुद से पूछें—क्या मैंने सभी पहलुओं को देखा?
पहला कदम है विविध स्रोतों से जानकारी लेना। अगर आप केवल एक ही समाचार चैनल देखते हैं, तो उसकी रिपोर्टिंग में बायस रह सकता है। दूसरा, अपने आप को चुनौती दें—कोई वैकल्पिक दृष्टिकोण खोजें और उसके खिलाफ तर्क बनाएं। तीसरा, नोटबुक रखें और जब भी आप कोई निर्णय लें, तो लिखें कि आपने कौन‑से तथ्य इस्तेमाल किए और कौन‑से छोड़े। इस तरह आप बाद में देख पाएँगे कि क्या कोई पक्षपात छूट गया।
व्यक्तिगत रिश्तों में भी बायस असर डालता है। अक्सर हम परिवार या दोस्तों के बारे में पहले से बने विचारों को फिर से जांचे बिना ही मान लेते हैं। एक आसान तरीका है कि आप सामने वाले की बात को पूरी तरह सुनें, बिना बीच में टकटकी लगाए या जवाब तैयार किए। फिर पूछें—क्या मेरे पास सभी जानकारी है?
अंत में, याद रखें कि पूरी तरह बायस खत्म करना मुश्किल है, लेकिन इसे पहचानना और कम करना संभव है। जब आप खुद को सवाल पूछते रहते हैं, तो आपका दिमाग अधिक संतुलित निर्णय लेता है। इस तरह आप न केवल अपने विचारों को साफ़ करते हैं, बल्कि दूसरों के साथ संवाद में भी ज्यादा विश्वसनीय बनते हैं। जन मंच हिंद में हम इसी तरह के व्यावहारिक टिप्स लाते रहते हैं—जुड़े रहें और सीखते रहें।
मेरे ब्लॉग में मैंने अधिकांश समाचार चैनलों की भाजपा के प्रति झुकाव की बहस की है। कई लोगों का मानना है कि यह चैनल राजनीतिक दबाव और वित्तीय समर्थन के कारण भाजपा के प्रति प्रवृत्त होते हैं। इसके अलावा, यह चैनल अक्सर राजनीतिक अजेंडा को बढ़ावा देने का आरोप झेलते हैं। हालांकि, यह विषय बहुत ही विवादास्पद है क्योंकि कुछ लोग इसे अविश्वसनीय मानते हैं। मेरे ब्लॉग में इस विषय पर गहन चर्चा की गई है।
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