दिवाली 2025 की तिथि तय: 20 अक्टूबर, बड्रीनाथ से बनारस तक एक ही दिन

दिवाली 2025 की तिथि तय: 20 अक्टूबर, बड्रीनाथ से बनारस तक एक ही दिन अक्तू॰, 19 2025

जब पंडित रमेश सेमवाल, उत्तarakhand ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष ने आधिकारिक तौर पर बताया कि दिवाली 2025 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, तो देश भर के लाखों श्रद्धालुों के मोबाइल पर उसी दिन की अलार्म गूँजने लगती है। उसके बाद कई प्रमुख धार्मिक स्थल—बड्रीनाथ, बनारस, अयोध्या, पुरी—में ट्रेनों की बुकिंग पूरी हो गई, क्योंकि लोग इस शुभ तिथि को सही मुहूर्त में लाइटों से सजा शहर देखना चाहते हैं। यह घोषणा 18 अक्टूबर को हुई, और तुरंत ही टीवी समाचार, सोशल मीडिया, और अखबारों में चर्चा का मार्जन बन गया।

दिवाली 2025 की तिथि की पृष्ठभूमि

हिन्दू पंचांग में दीवाली हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। पिछले दस सालों में कई बार इस तिथि पर बहस छिड़ी है, विशेषकर जब अमावस्या शाम के समय नहीं आती या प्रथमा तिथि (प्रथमा दशा) शाम के बाद शुरू हो जाती है। 2025 की स्थिति थोड़ा पेचीदा थी: कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे शुरू हुई और 21 अक्टूबर को शाम 5:55 बजे समाप्त हुई। पुरानी शास्त्र अनुसार, अमावस्या का प्रादोश काल (संध्या) ही मुख्य पूजा का समय माना जाता है, इसलिए एक ही शाम में दो अलग‑अलग तिथियों का अस्तित्व नहीं हो सकता।

पंडित रमेश सेमवाल और ज्योतिषीय गणना

उत्तarakhand ज्योतिष परिषद के पंडित रमेश सेमवाल ने अपने बयान में स्पष्ट किया, “कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 3:45 बजे से शुरू होती है, और 21 अक्टूबर को शाम 5:55 बजे समाप्त हो जाती है। चूँकि अमावस्या का प्रादोश काल केवल 20 अक्टूबर की शाम में है, वही सही दीवाली तिथि है।” उन्होंने यह भी जोड़ते हुए कहा कि इस गणना में ज्यांस्टा.com और हर्ज़िंदगी.com के डेटा का सहारा लिया गया है, जिससे निष्कर्ष अधिक विश्वसनीय बना।

सेमवाल जी ने बताया कि “प्रदोष व्यापिनी अमावस्या” conjunction का अर्थ है कि शाम के समय अमावस्या की रौशनी पूरी तरह से स्पष्ट रहती है, इसलिए इस दिन लाक्ष्मी‑गणेश पूजा करने से धन‑सम्पदा में वृद्धि होती है।” उनकी यह टिप्पणी स्थानीय पुजारी महँसूर लाल, जो बड्रीनाथ के प्रमुख पंडित हैं, ने भी मान ली। “हम इस तिथि पर खास चोगढ़िया मुहूर्त निर्धारित कर रहे हैं—दोपहर 03:44‑05:46, शाम 05:46‑07:21, रात 10:31‑12:06, और प्रादोश काल 01:41‑06:26,” उन्होंने कहा।

मुख्य तीर्थस्थलों में मनाया जाने वाला उत्सव

बड्रीनाथ से लेकर बनारस तक, सभी प्रमुख तीर्थस्थल इस तारीख को अपने‑अपने रीति‑रिवाज़ों के साथ तैयार हैं। बड्रीनाथ में 20 अक्टूबर को भक्तों के लिये बड्रीनाथ के परेसर पर 2 लाख से अधिक दीप जलाए जाने की योजना है। बनारस (वाराणसी) में गंगा किनारे अर्धरात्रि गर्‍ब-धारित दीप स्तम्भ स्थापित किए जाएंगे, जिससे ‘अभिनव प्रकाश’ की अनुभूति होगी।

अयोध्या, जिसे “राम की नगरी” कहा जाता है, ने 19 अक्टूबर को “दीपोत्सव” के रूप में 30 लाख (3 मिलियन) दीयों को जगाने का लक्ष्य रखा है। शहर के मेयर ने कहा, “यदि हम इस रिकॉर्ड को बना लेते हैं, तो अयोध्या का इतिहास एक नई चमक के साथ याद किया जाएगा।” उपरान्त 20 अक्टूबर की शाम को लाक्ष्मी‑गणेश पुजा के साथ बड़े परेड का आयोजन होगा, जिसमें 100 से अधिक रथ शामिल होंगे। पुरी में जगन्नाथ मंदिर के बाहर 15 हजार दीपांजलि जलाने की योजना है, जबकि वाणिज्यिक क्षेत्रों में भी शॉपिंग मॉल और स्ट्रीट मार्केट के मालिकों ने विशेष प्रकाश व्यवस्था की घोषणा की है।

दैविक समय (मुहूर्त) और पूजा विधि

दैविक समय (मुहूर्त) और पूजा विधि

ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, दीवाली की मुख्य पूजा शाम के “प्रादोश काल” में की जानी चाहिए—यानी 20 अक्टूबर को 05:46 बजे से 07:21 बजे तक। इस अवधि में लाक्ष्मी‑गणेश प्रतिमाओं को साफ़ किया जाता है, और मिठाई‑प्याली का वितरण होता है। मुहूर्त के अनुसार, “चोगढ़िया” जैसी अन्य समयावधियों का प्रयोग विशेष अनुष्ठानों, जैसे कि ‘अर्थिक लाभ’ हेतु करने के लिये किया जा सकता है।

धर्मशास्त्र के अनुसार, इस वर्ष की “प्रद्युति” (प्रकाश) ऋषि मान्य माना गया है, जिससे यह कहा गया है कि “यदि अमावस्या के समय लाक्ष्मी‑गणेश की पूजा की जाए तो वित्तीय संकट दूर होगा।” कई वित्तीय विशेषज्ञ, जैसे डॉ. अनिल राजपुरोहित, ने कहा कि इस उत्सव के बाद छोटे‑बड़े व्यवसायों में खरी‑दारी के आंकड़े 15‑20 % तक बढ़ सकते हैं।

आगामी कदम और संभावित प्रभाव

सरकार ने अब तक 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय छुट्टी घोषित कर दी है, जिससे स्कूल, कॉलेज, और कई सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। पर्यटन विभाग ने कहा कि “विदेशी पर्यटक भी इस तिथि को भारत की सांस्कृतिक धरोहर देखना चाहेंगे, इसलिए एयरलाइन एवं होटल बुकिंग में अचानक वृद्धि देखी जा रही है।” साथ ही, विद्युत कंपनियों ने ऑन‑ग्रिड लोड के प्रबंधन के लिये विशेष योजना बनाई है, ताकि दीपों की रोशनी से ग्रिड पर दबाव न पड़े।

धार्मिक संगठनों ने यह भी कहा कि “जैसे ही दीवाली का त्योहार समाप्त होगा, लोग अपने घरों में स्वच्छता अभियान चलाएँगे, जिससे स्वास्थ्य‑सुरक्षा में भी सुधार होगा।” इस प्रकार, केवल एक तिथि तय नहीं हुई—बल्कि आर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय स्तर पर कई सकारात्मक बदलावों की संभावना उभरी है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

दिवाली 2025 की तिथि क्यों बदल गई?

क्योंकि कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे शुरू हुई और 21 अक्टूबर को शाम 5:55 बजे समाप्त हुई। प्रादोश काल (शाम) केवल 20 अक्टूबर में ही था, इसलिए ज्योतिषियों ने इस तिथि को सही मान लिया।

अयोध्या में दीपोत्सव कब होगा?

अयोध्या में दीपोत्सव 19 अक्टूबर को आयोजित होगा, जिसके बाद 20 अक्टूबर की शाम को मुख्य लाक्ष्मी‑गणेश पूजा होगी। इस कार्यक्रम में लगभग 30 लाख दीप जलाने की योजना है, जिससे विश्व रिकॉर्ड बनाने की आशा है।

मुख्य पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?

प्रमुख पूजा 20 अक्टूबर को शाम 5:46 बजे से 7:21 बजे तक के प्रादोश काल में करनी चाहिए। इसके अलावा दोपहर, रात, और प्रातः काल के चोगढ़िया मुहूर्त भी उपलब्ध हैं, जिन्हें विशेष अनुष्ठानों में प्रयोग किया जा सकता है।

इस तिथि का व्यापारिक प्रभाव क्या रहेगा?

वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, दीवाली के शॉपिंग सीजन में 15‑20 % तक बिक्री बढ़ सकती है। साथ ही, पर्यटन जगत में विदेशी आगंतुकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है, जिससे होटल, एयरोलाइन और स्थानीय व्यापार को लाभ होगा।

क्या अन्य कैलेंडर में भी दीवाली 20 अक्टूबर है?

हिन्दू पंचांग के अलावा, ग्रेगोरियन कैलेंडर में भी 20 अक्टूबर 2025 को सोमवार है, जो कि सरकारी छुट्टी के रूप में घोषित किया गया है। इस कारण स्कूल, कार्यालय और कई संस्थान वही दिन बंद रहेंगे।