सरकारी पाबंदियों और पुलिस की चेतावनी के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन पश्चिम में हुए तबलीगी जमात के मरकज में हुए धार्मिक आयोजन से पूरे देश में कोरोना का संकट गहरा गया है। देश के अलग-अलग राज्यों से शामिल होने आए जमाती में 261 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इतना ही नहीं आयोजन में देश-विदेशों से 5000 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे, जो वापस लौटते समय कोरोना ( COVID-19 ) का संक्रमण भी साथ ले गए। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
बता दें कि मौलाना अभी फरार हैं और उसकी तलाश में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच देश के कई जगहों पर दबिश दे रही है। इसी बीच मौलाना साद का एक कथित ऑडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वो सरकार विरोधी भाषण दे रहा हैं और कहा रहा है, मरने के लिए मस्जिद से बेहतर जगह कोई और नहीं हो सकती।
आखिर कौन है मौलाना साद ?
10 मई 1965 को दिल्ली में जन्मे मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मुहम्मद साद कंधलावी है। उन्होंने हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से आलिम की डिग्री हासिल की है। वह भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन तबलीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कंधलावी के परपोते हैं। मौलाना इलियास कंधालवी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कांधला के रहने वाले थे। इसी वजह से वह कंधलावी लगाते थे। इसके बाद आगे आने वाली पीढ़ियों ने भी कंधलावी लगाना शुरू कर दिया।
1995 में तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना इनामुल हसन की मौत के बाद मौलाना साद ने मरकज की कमान संभाल ली। इसके बाद वह तब्लीगी जमात सर्वेसर्वा बने हुए हैं। मौलाना साद खुद को तबलीगी जमात के एकछत्र अमीर घोषित कर चुके हैं। वह खुद को तबलीगी जमात का सबसे बड़ा मानते हैं। मौलाना साद का नाम 2017 में सुर्खियों में आया था, जब दारु उलूम देवबंद ने तबलीगी जमात से जुड़े मुसलमानों को फतवा जारी कर कहा कि साद कुरान और सुन्ना की गलत व्याख्या करते हैं, ये फतवा भोपाल में साद के एक भाषण के बाद जारी किया गया था।
क्या है तबलीगी मरकज का मतलब
तबलीगी मरकज का मतलब है अल्लाह की बातों को दूसरे लोगों को पहुंचाना। तबलीगी जमात का मतलब ग्रुप। मतलब कि अल्लाह की बातों को पहुंचाने का केन्द्र। मरकज का उद्देश्य मुसलमानों को शिक्षित करक नेक काम में लगाना। और एक जमात 3 दिन से 40 दिनों की होती है। इसमें दुनियाभर से लोग शामिल होते है।