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कोरोना का निवाला बन रहे पुराने रोगी, स्वस्थ लोगों से जंग हार रहा कातिल वायरस

लखनऊ। कोरोना से जारी जंग में उत्तर प्रदेश के 14 लोग अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं। 82 मरीजों ने कालिल वायरस को मात भी दी है। इस महामारी से स्वस्थ हुए लोगों और मृतकों की मेडिकल हिस्ट्री खंगालने से एक अच्छा संकेत यह मिल रहा है कि कोरोना से प्रदेश में अब तक जिन व्यक्तियों की मौतें हुई हैं, उनमें से अधिकतर किसी पुराने और गंभीर रोग से ग्रसित थे। निरोगी काया वाले संक्रमितों की जान लेने में यह वायरस अभी तक असमर्थ दिख रहा है।
उत्तर प्रदेश में कोरोना के कारण 31 मार्च को पहली मौत हुई थी। बस्ती जिले के इस 25 वर्षीय युवक का गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा था। इतनी कम उम्र में कोरोना की वजह से मौत का शायद यह देश में पहला मामला रहा। पहले लोगों को भ्रम था कि कोरोना बुर्जुगों और दस साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ही घातक है। लेकिन, बस्ती के इस युवक की मौत होते ही पूरे प्रदेश में सनसनी फैल गई।
बाद में युवक की मेडिकल हिस्ट्री खंगाली गई तो पता चला कि वह कई महीनों से लिवर और किडनी की बीमारी से ग्रसित था। परिवार वालों ने पहले मोहल्ले के दो डाॅक्टरों से उसका इलाज कराया था। तबीयत में सुधार न होने पर उसे बस्ती के जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां भी ठीक न होने पर परिजन उसे गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज ले गये, जहां 31 मार्च को उसकी मौत हो गई। मौत के बाद आशंका होने पर जांच हुई तो वह कोरोना पाॅजिटिव निकला।
प्रदेश में कोरोना से दूसरी मौत मेरठ में हुई। वहां मेडिकल काॅलेज में एक अप्रैल को 72 साल के एक बुजुर्ग ने अंतिम सांस ली। बाद में पता चला कि उसे बहुत दिनों से सांस की गंभीर बीमारी थी। मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. आरसी गुप्ता के अनुसार इस मरीज को शुगर की भी शिकायत थी। साथ ही उम्र भी ज्यादा थी।
कोरोना से उप्र की तीसरी मौत वाराणसी में हुई। वहां के 55 वर्षीय व्यापारी की मौत बीएचयू में तीन अप्रैल को हुई थी। मौत के दो दिन बाद जांच में पता चला कि वह कोरोना से संक्रमित था। मेडिकल हिस्ट्री में जानकारी मिली कि वह डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की बीमारी से पहले से ही परेशान था। बीएचयू आने से पहले दो निजी अस्पतालों में भी इलाज करा चुका था। प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने भी पुष्टि की थी कि वह डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का पहले से मरीज था।
प्रदेश में कोरोना के कहर से चौथी मौत आगरा में हुई थी। वहां के एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती 76 वर्ष की महिला ने इलाज के दौरान आठ अप्रैल को दम तोड़ दिया था। उसके बारे में बताया गया कि वह काफी समय से अस्थमा से पीड़ित थी।
इसी तरह नौ अप्रैल को बुलंदशहर में कोरोना से मरने वाले 58 वर्षीय पुरुष को डायबिटीज की शिकायत थी। आगरा में 13 अप्रैल को दम तोड़ने वाली 56 वर्षीया महिला डायबिटीज और अस्थमा की रोगी थी। उसी दिन आगरा में एक दूसरी 45 वर्षीया महिला की भी कोरोना से मौत हुई थी। उसे ब्रेन हेमरेज हुआ था।
उप्र में कोरोना से आठवीं मौत मुरादाबाद में 13 अप्रैल को हुई थी। 49 वर्षीय यह पुरुष डायबिटीज से ग्रसित था। उसी दिन कानपुर में एक 49 वर्षीय पुरुष की जान गई वह डायबिटीज के साथ किडनी का भी रोगी था। इसके बाद 14 अप्रैल को मुरादाबाद में 76 वर्षीय पुरुष की मौत हुई, उसकी किडनी काफी दिनों से खराब थी। 14 अप्रैल को ही आगरा में एक 57 वर्षीय पुरुष की जान कोरोना के संक्रमण से गई। वह भी किडनी के रोग से परेशान था।
इसके अलावा राजधानी लखनऊ में 15 अप्रैल को एक 64 वर्षीय बुजुर्ग की मौत कोरोना के संक्रमण से हो गई। उसकी किडनी के अलावा फेफड़ों में भी संक्रमण था। ताज नगरी आगरा में 16 अप्रैल को कोरोना के एक मरीज की और मौत हुई। इस 49 वर्षीय पुरुष की किडनी काफी समय से संक्रमित थी। उसी दिन मेरठ में मरने वाले 57 वर्षीय पुरुष को अस्थमा की गंभीर बीमारी थी।
निरोगी काया से मात खा रहा कोराना
दूसरी तरफ कोरोना ऐसे लोगों का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है, जिनका शरीर निरोगी है और जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं हैं। संक्रमित लोगों के संपर्क में आने की वजह से ऐसे लोग बीमार अवश्य हो रहे हैं, लेकिन कुछ दिन के इलाज के बाद ही वे पूर्ण रुप से स्वस्थ भी हो जा रहे हैं।
पूरे प्रदेश में कोरोना पाजिटिव के 82 मरीज अब तक स्वस्थ होकर अस्पताल से छुट्टी पा चुके हैं। इसमें सर्वाधिक नोएडा के 32, मेरठ के 14, आगरा के 10, गाजियाबाद के सात, लखनऊ के छह, हाथरस के चार, बरेली के तीन, पीलीभीत के दो और कानपुर, शामली, लखीमपुर खीरी तथा मुरादाबाद के एक-एक मरीज शामिल हैं। इनमें से करीब सभी किसी अन्य रोग से ग्रसित नहीं मिले।
कोरोना से संक्रमित सबसे कम उम्र का लखनऊ का एक बच्चा 11 अप्रैल को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) से डिस्चार्ज हुआ था। ढाई साल के इस बच्चे ने मात्र छह दिन के अंदर बगैर दवा के कोरोना को मात देने का कीर्तिमान बनाया है। अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि बच्चे को कोई दवा नहीं दी गई थी। केवल सुपाच्य और पौष्टिक आहार दिये गये। नतीजा यह हुआ कि अपनी प्रतिरोधक क्षमता के सहारे वह कोरोना से जंग जीतने में सफल रहा।
इस बच्चे की मां लखनऊ की पहली कोरोना पाॅजिटिव मरीज थी। पिछले माह कनाडा से वह यहां वापस लौटी थी और जांच में 11 मार्च को कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। उसे भी इलाज के लिए केजीएमयू में भर्ती किया गया था। बाद में ठीक होकर वह घर आ गई थी। मां-बेटे दोनों पहले से किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं थे।
लखनऊ में 20 मार्च को जब बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर में कोरोना पाॅजिटिव की पुष्टि हुई थी तो पूरा देश हदस गया था। उन्हें लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएशन इंस्टीट्यूट (पीजीआई) में भर्ती किया गया था। यद्यपि उनमें वायरस का स्रक्रमण लोड बहुत अधिक था, फिर भी वह बिल्कुल स्वस्थ हो गईं और छह अप्रैल को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। 42 वर्षीया कनिका की मेडिकल हिस्ट्री में भी पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं थी।
उधर, प्रयागराज के कोटवा स्थित कोविड अस्पताल में इंडोनेशियाई जमाती समेत कोरोना से संक्रमित नौ मरीज भर्ती थे। करीब एक पखवारे के इलाज में सभी पूर्ण स्वस्थ हो गये। शुक्रवार को इंडोनेशियाई जमाती समेत चार को अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया। इनमें भी पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं पाई गई।

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