न्यूयॉर्क । एक ताजा सर्वे के मुताबिक 74 फीसदी सीएफओ मानते हैं कि बिना ऑफिस आए काम करने का नुस्खा उम्मीद से कहीं बेहतर परिणाम दे रहा है। वे यह व्यवस्था स्थाई रूप से लागू करना चाहते हैं, ताकि ऑफिस का खर्च कम किया जा सके। इतना ही नहीं, 81फीसदी सीएफओ ने तो यहां तक कह दिया है कि वे भविष्य में वर्क फ्रॉम होम के लिए ही कर्मचारियों की भर्ती करेंगे। इसके लिए नियुक्ति की शर्तों में लचीला रुख अपनाने की बात भी उन्होंने कही है। वर्क फ्रॉम होम को लेकर 20फीसदी सीएफओ का मानना है कि घर से काम करने से उनकी बिल्डिंग कास्ट और ट्रैवल एक्सपेंस में काफी बचत होगी।
हालांकि, 71फीसदी सीएफओ का यह भी मानना है कि इससे कारोबार की निरंतरता और उत्पादकता दोनों प्रभावित हो सकती है। सर्वे में शामिल 317 सीएफओ में से अधिकांश ने माना कि कोरोना संक्रमणकाल की यह स्थिति वर्चुअल दफ्तर की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। वहीं, कई कंपनियां लॉकडाउन (Lockdown) खत्म होने के बाद भी स्थाई रूप से वर्क फ्रॉम होम की संभावनाएं तलाश रही हैं। एपल, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेजन जैसी बड़ी कंपनियां अमेरिका में अपने कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम करवा रही हैं। ट्विटर और गूगल ने तो दुनियाभर के अपने सेंटर में अगले आदेश तक इसी व्यवस्था में काम करते रहने का निर्देश जारी किया है। माइक्रोसॉफ्ट ने सोमवार (Monday) को सिएटल और सैन फ्रांसिस्को के बाद पूरे अमेरिका में घर से ही काम करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ताओं ने लॉकडाउन (Lockdown) में वर्क फ्रॉम होम का फायदा बताते हुए ट्वीट किया। इसमें शोधकर्ताओं ने अपनी उस रिसर्च का हवाला दिया, जिसमें 2018 में घर से काम करने के दौरान बिजली, ईंधन की कम खपत से पर्यावरण को होने वाले फायदे गिनाए गए थे। शोधकर्ताओं ने कहा- वर्क फ्रॉम होम की कार्यसंस्कृति से सबक लेने और नई धारणा स्थापित करने की जरूरत है। बता दे कि कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर की कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम दिया हुआ है। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेजन जैसी कंपनियां भी ‘वर्क फ्रॉम होम’ को तरजीह दे रही हैं।