नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने निजी लैब में मुफ्त कोरोना जांच के आदेश में बदलाव किया है। कोर्ट ने कहा कि लैब उनसे 4500 रुपये तक ले सकते हैं, जो देने में सक्षम हैं। जो लोग आयुष्मान भारत योजना के दायरे में आते हैं, सिर्फ उनकी जांच मुफ्त होगी।
सुनवाई के दौरान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कोर्ट से निजी लैब को कोरोना जांच मुफ्त में करने के आदेश को बदलने की मांग की। आईसीएमआर ने कहा कि इस पर कार्यपालिका को फैसला लेने दीजिए क्योंकि इस आदेश से जांच प्रभावित होगी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि अब तक जितने टेस्ट हुए हैं उसमें 87 फीसदी सरकारी लैब में मुफ्त में हुए हैं। कोर्ट ने पाया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के 50 करोड़ लोग कोरोना का मुफ्त जांच करवा सकते हैं। कोर्ट ने कोरोना से निपटने में केंद्र सरकार के कामों की तारीफ की।
सीनियर आर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर कुशल कांत ने दायर याचिका में कहा था कि निजी लैब को कोरोना की जांच का मुफ्त आदेश देने से पहले से कम हो रही जांच और कम होने का अंदेशा है। याचिका में कहा गया था कि जांच के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए एक अलग कोटा बनाया जाना चाहिए जो इस जांच के लिए पैसे देने में असमर्थ हैं। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने 8 अप्रैल के आदेश में संशोधन करे और आदेश दे कि निजी लैब को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों का कोरोना जांच की फीस का भुगतान सरकार करेगी।