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कोरोना संकट के बीच मुस्लिम पड़ोसियों ने किया हिंदू बुजुर्ग का अंतिम संस्कार

मुंबई । देश में कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच मुम्बई में बांद्रा के गरीब नगर के लोगों ने बड़ा दिल दिखाया। मुस्लिम बहुल बस्ती में हिन्दू बुजुर्ग की मौत होने के बाद पड़ोसी मुस्लिमों ने पूरे हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करवाया। मुस्लिमों ने ही अपने हाथों से नहलाया, सामान लाकर अर्थी बनाई और कंधा देकर श्मशान भूमि ले जाकर उनका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार कराया। जिन बुजुर्ग का निधन हुआ, उनका एक बेटा वहां मौजूद था, लेकिन उसे रीति-रिवाजों की कोई जानकारी नहीं थी। जबकि, उसके दूसरे भाई-बहन लॉकडाउन (Lockdown) में मुबंई से बाहर फंसे हैं, वे तत्काल आ नहीं सकते थे।

मानवता की यह मिसाल बांद्रा स्टेशन से लगे गरीब नगर झोपड़ पट्टी में पेश की गई। 3 अप्रैल को गरीब नगर में रहने वाले 68 साल के प्रेमचंद की मौत हो गई। उनके बेटे मोहन को अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है, इसकी कोई जानकारी नहीं थी और दूसरे भाई नाला सोपारा में रहते हैं जो लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से आ नहीं सकते थे। मोहन ने बताया मैं बचपन से ही गरीब नगर बस्ती में रहता हूं, मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी और लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से अपने लोगों की मदद भी नामुमकिन थी। तब आसपड़ोस के मुस्लिम परिवारों ने मिलकर अंतिम संस्कार में मदद की।

प्रेमचंद के अंतिम संस्कार में अहम भूमिका निभाने वाले अबु बशर ने बताया कि हम सभी बचपन से उन्हें प्रेम चाचा के नाम से बुलाते थे। पहले तो हम सब उनकी तबियत खराब होने पर अलग अलग बीएमसी अस्पतालों में चक्कर लगाते रहे पर सभी बीएमसी अस्पतालों ने यह कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया कि अभी सिर्फ कोरोनावायरस के मरीज भर्ती करते हैं।

इस बीच प्रेम चाचा की मौत हो गई। गरीब नगर में एक-दो हिन्दू परिवार हैं और लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से कोई बाहर नहीं आ सका। तब बस्ती के सभी मुस्लिम लोगों ने मिलकर तय किया कि हम प्रेम चाचा का अंतिम संस्कार करेंगे। इसके लिए पहले पुलिस (Police) को सूचित किया गया। लेकिन हमें भी हिन्दू रीति रिवाज की जानकारी नहीं थी। फिर पास में ही रहने वाले शेखर से पूछा गया।

साथ ही अबु बशर ने बताया कि जैसे-जैसे शेखर ने बताया हमने वही किया। लॉकडाउन (Lockdown) में पहले बडे मुश्किल से अर्थी के लिए सामान लाया गया, फिर उसे बांधकर अर्थी बनाई गई। प्रेम चाचा को नहलाया गया। मटकी बनाई गई और फिर हम सब कंधा देकर पार्थिव देह को श्मशान ले गए और वहां अग्नि को समर्पित किया।

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